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जा रहे हो तुम कहाँ जाओगे / आनंद बख़्शी
Kavita Kosh से
जा रहे हो तुम कहां जाओगे लौट कर वापस यहां आओगे
खतरे बड़े हैं राहों में बस जाओ मेरी बाहों में
क्या आना जाना
हां जा रहे हो तुम ...
जब तक हाँ की झंडी नहीं झुकेगी
उससे पहले गाड़ी नहीं रुकेगी
ज़ंजीर खींच लो तुम या आँखें मींच लो तुम
खतरे बड़े हैं ...
बैठो तुमको पलकों पे हम बिठा लें
ठहरो तुमको सीने से हम लगा लें
सबकी नज़र है तुम पर लगता नहीं तुम्हें डर
खतरे बड़े हैं ...
ऐ हलो रे हलो
तुम ये समझे तुम दूर जा रहे हो
लेकिन तुम तो मेरे पास आ रहे हो
मुझ पर यकीं नहीं तो खुद अपने दिल से पूछो
खतरे बड़े हैं ...