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जिंदगी एक सुहाना सपना है / चाँद हादियाबादी
Kavita Kosh से
जिंदगी एक सुहाना सपना है
कल पराया है आज अपना है
एक अधूरा-सा ख़्वाब देखा है
मुख़्तसर-सा फ़साना अपना है
पास वो आए जब ख़यालों में
हमने सोचा ज़माना अपना है
भूल जाएँ वो चाहे क़ौल अपना
हमको वादा निभाना अपना है
देखना आप हम जो रूठे तो
कितना मुश्किल मनाना अपना है
आज हैं चाके-गिरेबान तो क्या
जाना-माना घराना अपना है
चाँद है आज यहाँ कल है वहाँ
यही पक्का ठिकाना अपना है