जिंदगी में
कई कई पेंच हैं
जिनको समझते-गुनते
कई वर्ष लग जाते हैं
हम
विपरीत परिस्थितियों से
हमेशा
ठगे जाते हैं
और
वे पेंच
इतने बड़े हो जाते हैं
कि
जो सुलझने से भी नहीं
सुलझते
आज ऐसे पेंच
हमारे संबंधों में है
हमारे व्यवहार में है
हमारे सरोकार में है
जिन्हें
हम समझना नहीं चाहते
वा रे पेंच
समझते समझते
जिंदगी गुजर गई