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जिजीविषा / आरती तिवारी

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(जिजीविषा / आरती वर्मा से पुनर्निर्देशित)
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संजो लो अपने भीतर
मुझे बाहर लाने का साहस
   बाद में.
मैं खुद लड़ लूँगी
अपने अस्तित्व की लड़ाई

तुम्हे बचाना है,मेरा आज
बिना इस भय के
क्या होगा मेरा कल?
मुझे चाहिए थोड़ी सी जगह
तुम्हारी कोंख में
अंकुर बन फूटने को

  बाद में.
अपने विस्तार और विकास के रास्ते
  मैं खुद तलाश लूँगी
अपनी पूरी ताक़त लगाकर
मैं उछलूँगी क्रीड़ाएँ करूंगी
और तुम्हे दिलाती रहूंगी
अपने वज़ूद का एहसास

कली और खुशबू बनकर मुस्कुराऊंगी
तुम्हारे सपनों में
  मेरे सौंदर्य और कौमार्य के
कुचले जाने का डर बता
तुम्हे भरमाया जायेगा
पर तुम मत हारना हिम्मत
मुझे पनपने देना,और जीना
मेरे पनपने के एहसास को

  बाद में.
मुझे अपने हिस्से की
जमीन-आसमान पाने से
कहाँ कोई रोक सकता है
  नदी खुद बनाती है अपना रास्ता
मैं मौसम में उतरूंगी ,तैरूँगी, फुदकुंगी
कलियों के शोख रंगों में चटकूँगी
.जीऊँगी मैं
अपने स्त्रीत्व की सम्पूर्णता को

देखो तो
पत्थर की शिला में भी
  फूटे हैं तृणाकुर
ढेर सारी,नई-नई कोंपलें
वे तो नहीं हैं,उसका हिस्सा
फिर भी
वो समेटे है उन्हें आश्रयदाता बनकर
बिना डरे अभयदान देकर
   ..और मैं
मैं तो तुम्हारे वज़ूद का हिस्सा हूँ माँ
सृष्टि का अनुपम उपहार हूँ
आने दो मुझे अपने अंक में
अपनी दुनिया में
और जियो
इस गर्वीले क्षण को
एक विजेता की तरह