भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जित बैठी थी पचायत करी राम राम कर जोड़ कै / मेहर सिंह
Kavita Kosh से
वार्ता- सावित्री उस सत्यवान को अपने साथ अपने घर पर ले आती है तो वहां पर बैठे हुए लोगों को देखकर सत्यवान क्या कहता है-
जित बैठी थी पंचायत करी राम राम कर जोड़ कै।
मैं बोलूं सूं मन्दा मन्दा
कदे जगत करै ना निन्दा
पिता अन्धा और मेरी मात ल्याया करुं लाकड़ी तोड़ कै।
किसै की ना आच्छी भूंडी सुणता
ईब रोऐ तै के बणता
दिन गिणता ना रात फिर भी टोटा फिरग्या चारों ओड़ कै
मरहम का बोल काळजा डसग्या
जीव किसा फन्दे कै म्हां फंस ग्या
घुण पिसग्या चणे की साथ दिया गेर गरंड में फोड़ कै
मेहर सिंह भाग लिखा लिया खोटा
मनुष्य चाहे बड्डा हो या छोटा
यो टोटा छोड़ता ना जात प्यारे लिकड़ैं सैं मुंह मोड़ कै।