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जिधर चाहते हो उधर देख लेना / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
जिधर चाहते हो उधर देख लेना
दुआ का हमारी असर देख लेना
उठा कर नज़र देख लोगे इधर तो
नज़र जाएगी ये ठहर देख लेना
कभी याद आये जो तुम को हमारी
तो आँगन का सूखा शज़र देख लेना
बड़ी मुश्किलों में जो जीना पड़ा तो
कसेगा ज़माना कमर देख लेना
तुम्हारे न सुर यदि मिलेगें कभी तो
मेरी हर ग़ज़ल बे बहर देख लेना