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जिन्हें ज़िन्दगी में बहुत ग़म मिलें / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
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जिन्हें ज़िन्दगी में बहुत ग़म मिलें
वो लोगों से अक़्सर बहुत कम मिलें
भरें आहें बेशक न पत्थर कभी
मगर ख़ुद में खोए-से हरदम मिलें
कहां से चुराऊँ ख़ुशी के मैं पल
मुझे आप भी तो बहुत कम मिलें
जो चाहें कि हम अपने दम पे चलें
कहां वो हमें आज हमदम मिलें
ख़ुशी हम से मिलने न आती कभी ,
मिलें उससे जब भी तो बस हम मिलें !