भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिसकी लाठी उसकी भैंस / चंद्रमोहन 'दिनेश'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चूजा टूँग रहा था दाना
पीकर पानी ठंडा,
तभी पास में पड़ा दिख गया
छोटा-सा एक डंडा।
डंडा लेकर ऐंठ अकड़कर
पहुँचा भैंसे पास,
बोला, ‘भैंस मुझे दे जल्दी-
डंडा मेरे पास।’