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जिसे तू कुबूल कर ले वह अदा कहाँ से लाऊँ / साहिर लुधियानवी

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जिसे तू कुबूल कर ले वह अदा कहाँ से लाऊँ

तेरे दिल को जो लुभाए वह सदा कहाँ से लाऊँ


मैं वो फूल हूँ कि जिसको गया हर कोई मसल के

मेरी उम्र बह गई है मेरे आँसुओं में ढल के

जो बहार बन के बरसे वह घटा कहाँ से लाऊँ


तुझे और की तमन्ना, मुझे तेरी आरजू है

तेरे दिल में ग़म ही ग़म है मेरे दिल में तू ही तू है

जो दिलों को चैन दे दे वह दवा कहाँ से लाऊँ


मेरी बेबसी है ज़ाहिर मेरी आहे बेअसर से

कभी मौत भी जो मांगी तो न पाई उसके दर से

जो मुराद ले के आए वह दुआ कहाँ से लाऊँ


जिसे तू कुबूल कर ले वह अदा कहाँ से लाऊँ