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जीत / आस्तीक वाजपेयी
Kavita Kosh से
हम वही करते रहे जो आपने कहा था
तलवार उठाओ
तलवार उठाई,
सिर काटो
सिर काटे,
करो बलात्कार
बलात्कार किए ।
हमें बताया गया था कि शायद मर सकते हैं ।
नहीं बताया किसी ने कि जी सकते हैं, हार के साथ,
अपमान के साथ,
साथ एक जीत की उम्मीद के
जो हक़ीक़त के दरवाज़े खटखटाकर थक जाएगी ।
कुछ बच्चे होंगे जो कहेंगे कि इसके अलावा
कुछ नहीं था जो हमने किया था ।
कुछ यादें जिनमें जीत या यश नहीं
पसीना सना है जो धुल जाएगा
और ख़ून लिथड़ा है जो कभी नहीं धुलेगा ।
कुछ बूढ़े अकेले जो बच गए
अपनी जवानी का हिसाब माँगकर
कहते हैं -- हम वही करते रहे जो आपने कहा था‘