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जीने की भूल / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
मैं जीने की भूल किए जाता हूँ
और मरने के प्रतिकूल जिये जाता हूँ
वक्त आने पै जो बन जाएगी सोना
इन हाथों में वह धूल लिए जाता हूँ।