जीवन-गान / नाज़िम हिक़मत / उपासना झा
तुम्हारे माथे पर गिरे हुए बाल
अचानक हट गए हैं।
अचानक ज़मीन पर कुछ हलचल हुई ।
वृक्ष धीमे-धीमे बातें कर रहे हैं
अन्धेरे में ।
तुम्हारी खुली बाँहें ठण्डी हो जाएँगी ।
बहुत दूर
जहाँ हम देख नहीं सकते
चन्द्रमा ज़रूर उग रहा होगा ।
अभी वह हम तक पहुँचा नहीं है
पत्तों से फिसलता हुआ
तुम्हारे कन्धे को रोशन करने ।
लेकिन मैं जानता हूँ
एक हवा आती है चान्द के साथ ।
वृक्ष कर रहे हैं धीमे-धीमे बातें
तुम्हारी खुली बाँहें ठण्डी हो जाएँगी ।
ऊपर से
अन्धेरे में डूबी हुई टहनियों से
तुम्हारे पैरों के पास कुछ गिरा है ।
तुम मेरे पास आ गई हो ।
मेरे हाथ के नीचे तुम्हारी निर्वस्त्र देह
किसी रोयेदार फल जैसी है ।
ना ही कोई भावुकता ना ही बौद्धिकता
इन वृक्षों, चिड़ियों और कीड़ों के समक्ष
मेरी पत्नी की देह पर मेरा हाथ
सोच रहा है ।
आज की रात मेरा हाथ
पढ़ या लिख नहीं सकता ।
ना ही आसक्त है ना ही अनासक्त ।
यह किसी झरने के पास किसी तेन्दुए की जीभ है
अँगूर का एक पत्ता
एक भेड़िए का पँजा
हिलने, साँस लेने, खाने-पीने के लिए ।
मेरा हाथ एक बीज जैसा है
पृथ्वी के नीचे खुलता हुआ ।
ना ही कोई भावुकता न ही बौद्धिकता
ना ही आसक्त ना ही अनासक्त ।
मेरा हाथ मेरी पत्नी की देह पर सोचता हुआ
प्रथम पुरूष का हाथ है ।
उस जड़ की तरह जिसने ज़मीन के अन्दर पानी खोज लिया हो
यह मुझसे कहता है :
“खाने, पीने, ठण्डे, गरम, सँघर्ष, गन्ध, रँग के लिए
एक दिन मर जाने को जीने के लिए नहीं
बल्कि जीने के लिए मरते हुए…”
और अब
जब लाल केश मेरे चेहरे पर लहराते हैं
जब पृथ्वी में कोई हलचल होती है
जब वृक्ष अन्धेरे में बातें करते हैं
और चन्द्रमा कहीं दूर उगता है
जहाँ हम देख नहीं सकते
मेरी पत्नी की देह पर मेरा हाथ
इन वृक्षों, चिड़ियों और कीड़ों के समक्ष
मैं जीवन का अधिकार चाहता हूँ
झरने पर खड़े तेन्दुए जैसा, फूटते हुए बीज जैसा
मैं प्रथम पुरूष होने का अधिकार चाहता हूँ ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उपासना झा