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जीवन-यात्रा / अज्ञेय
Kavita Kosh से
अधोलोक में? चलो, वहीं जाना होगा तो वहीं सही।
जितनी तेज़ चलेंगे, यह राह बचेगी उतनी थोड़ी।
जो विलमते, पड़ाव करते पैदल जाएँगे जाएँ-
हम-तुम क्यों न कर लें सवारी के लिए घोड़ी?
अक्टूबर, 1969
ग्रीक विश्वास के अनुसार पाताल-लोक या अधोलोक प्रेत-लोक था; मृत्यु के बाद ‘छायाएँ’ यहीं वास करती थीं।