भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवन-सार / अनिता ललित
Kavita Kosh से
प्रेम की बेड़ियाँ...
फूलों का हार,
विरह के अश्रु...
गंगा की धार ,
समझे जो वेदना... प्रिय के मन की
योग यही जीवन का... है यही सार!