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जीवन का कलाकार / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
रूप से रूह का शृंगार नहीं शरमाया,
चाँद से दीप का उजियार नहीं शरमाया,
मौत ने जिं़दगी पर सर्वदा ही व्यंग्य किए-
किंतु जीवन का कलाकार नहीं शरमाया!