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जीवन में अरमानों का आदान-प्रदान नहीं होता / बलबीर सिंह 'रंग'

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जीवन में अरमानों का आदान-प्रदान नहीं होता।

मैंने ऐसा मनुज न देखा
अन्तर में अरमान न जिसके,
शाप बने वरदान न जिसके।
पंथी को क्या ज्ञात कि
पथ की जड़ता में चेतनता है?
पंथी के श्रम स्वेद-कणों से
पथ गतिमान नहीं होता है।
जीवन में अरमानों का आदान-प्रदान नहीं होता।

यदि मेरे अरमान किसी के
उर पाहन तक पहुँच न पाये,
अचरज की कुछ बात नहीं
जो जग ने मेरे गीत न गाये।
यह कह कर संतोष कर लिया-
करता हूँ मैं अपने उर में,
अरुण शिखा के बिना कहीं
क्या स्वर्ण-बिहान नहीं होता है?
जीवन में अरमानों का आदान-प्रदान नहीं होता।

मैं ही नहीं अकेला आकुल
मेरी भाँति दुखी जन अनगिन,
एक बार सब के जीवन में
आते गायन रोदन के क्षण,
फिर भी सब के मन का सुख-दुख
एक समान नहीं होता है।
जीवन में अरमानों का आदान-प्रदान नहीं होता।