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जीवन वीथिका / दीप्ति पाण्डेय
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इन दिनों
मेरी जीवन वीथिका में
प्रकाशित हो रहे हैं तुम्हारे स्मृति चित्र
लोग चित्र देखते हैं
चित्रों के रंग सामंजस्य को देखते हैं
लोग नहीं देख पाते उन रंगों का उद्गम बिंदु
तुम्हारी हथेलियों के सीले कैनवास पर
मेरी उँगलियों के स्पर्श ने महसूस किया था जो दुःख
उसे वीथिका की सर्वश्रेष्ठ कृति का सम्मान प्राप्त है
नेपथ्य के पृष्ठ भाग में जो रुदन है
मुख्य पृष्ठ पर वही मनोरंजन है