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जी चाहता है / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
सोकर उठते ही
चीखता है घर
मुझे साफ़ करो
उठाती हूँ झाडू पोंछा फिनायल कि चीखता है तभी
चीखता है बेटा
कहाँ है यूनिफ़ार्म
टिफिन बैग
चीखते हैं पति
कपड़े कहाँ हैं
कहाँ है शेविंग किट
मोजे पालिश और टाई कहाँ है
कहाँ है कहाँ है कहाँ है को
विदा कर भागती हूँ दफ्तर
जहां चीखता है बॉस –आज फिर लेट
काम पूरा दिन काम
फाइलों में घूमता है घर
जेहन में
ताला दूध और बिल्ली का डर
थकी हारी लौटती हूँ घर
चीखता है घर
चीखती हैं वस्तुएँ कि हमें ठीक करो
बच्चे का होमवर्क
मेहमान डिनर
पति का देर रात लौटना
चीखना न पाकर मुझे तरोताजा
जी चाहता है
चीख पड़ूँ मैं भी।