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जुगनू / देवयानी
Kavita Kosh से
रात के अँधेरों में
हम जुगनू पकड़ते थे
बन्द मुट्ठी में हर जुगनू के साथ
हाथ में आ जाता था रात का अँधेरा भी
जुगनू मर्तबान में बन्द
लड़ते रहते अँधेरे से
सुबह तक दम तोड़ देते थे
अँधेरा जमा होता गया
काँच की दीवारों पर