भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जुर्म / नासिर अहमद सिकंदर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जुर्म का कोई बना बनाया शास्त्र नहीं
न प्रशिक्षण विधिवत
फिर भी जुर्म
होते निरंतर
धर्मान्धता में तो
इसकी जड़ें पुरातन
अंध-विश्वास में भी
उद्योग लाता
जैसे उन्नत नई तकनीक
जुर्म भी करता ईजाद
तरीके नये
ये जो स्त्रियों की अधिकतर मौतें संदिग्ध
या ये जो आया
राज्यवार लिंग अनुपात
जुर्म
ठीक कहा आपने हरकिशन जी !
कुछ वाजिब वजहें भी जुर्म की
और कुछ ऐसे भी
जो लगते तो नहीं
होते संगीन
ठीक कहा आपने
ये जो एक राष्ट्र
अन्य राष्ट्रों को पांव की जूती समझता
क्या उसका नाम-
जुर्म नहीं ?