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जेकरा पर तू गरब करेलऽ आपन ना ऊ आउर ह / रामरक्षा मिश्र विमल

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जेकरा पर तू गरब करेलऽ आपन ना ऊ आउर ह
चतुर रहे दुशमन तs नीमन बुरबक बेटो बाउर ह

आपन के एहसास करवलऽ सब बिशवास लुटा दिहलीं
दूध कहाँ बा ? मड़गिलवे के रटले बाड़ऽ जाउर ह

केकरा के आपन आ केकरा के अब आन कहीं भइया
अमिरित के खोजे में नीके चमकेला ऊ माहुर ह

ताजा कहिके पाँत बिगारल छोड़ीं ए शूकुल बाबा
दू दिन पर मीलल भोजन ई दूबे के बसियाउर ह