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जेबकतरे / नेहा नरुका
Kavita Kosh से
एक ने हमारी जेब काटी और हमने दूसरे की काट ली और दूसरे ने तीसरे की और तीसरे ने चौथे की और चौथे ने पाँचवे की
और इस तरह पूरी दुनिया ही जेबकतरी हो गई ।
अब इस जेबकतरी दुनिया में जेबकतरे अपनी-अपनी जेबें बचाए घूम रहे हैं
सब सावधान हैं, पर कौन किससे सावधान है, पता नहीं चल रहा
सब अच्छे हैं, पर कौन किससे अच्छा है, पता नहीं चल रहा ।
सब जेब काट चुके हैं,
पर कौन किसकी जेब काट चुका है, पता नहीं चल रहा ।
जेबकतरे कैंची छिपाए घूम रहे हैं
संख्या में दो हजार इक्कीस कैंचियाँ हैं
इनमें से पाँच सौ एक तो अन्दर से ही निकली हैं
अन्दर वाली कैंचियाँ भी
बाहर वाली कैंचियों की तरह ही दिख रही हैं
कैंचियाँ जेब काट रही हैं
सोचो, जब कैंचियाँ इतनी हैं, तो जेबें कितनी होंगी ?