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जेमें हमरा अंतिम गीत / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’

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जेमें हमरा अंतिम गीत में,
सब राग-रगिनी बोल उठे
ओह गीत का सुर में
हमार सब आनंद साकार हो उठे।
जवना आनंद से माटी-हँस उठेले
गाछ-बिरीछ-लत घस क सभेंगे
धरती मस्त हो के झूम उठेले।
जवना आनंद से अभिभूत होके
जीवन आ मरन दूनू पागल लेखा
संसार-मभेंच पर नच रहल ब;
उहे आनंद ओह स्वर में बोल उठे।
जवन आनंद आँधी-पनी मेभें भी बिहरेल
अपना अट्टहास से सूतल प्राण जगा देला।
जवन आनंद दुख-कष्ट के रक्त कमलन पर
आँसू-जल मेभें विहँसेल।
जवन आनंद सर्वस्य लुटइलो पर
तनिको धूमिल ना हो पावे
उहे आनंद हमरा अंतिम गीत में
ओह गीत का सुर में साकार हो उठे।