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जेल से छूटने के बाद / नाज़िम हिक़मत / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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जाग गया मैं
कहाँ हो तुम ?
अपने घर में ।
अब भी आदी न बना –
सोते हुए या जगकर –
अपने घर में होने का ।
यह भी एक जड़ता है
तेरह साल जेल में रहने की ।
बगल में कौन है ?
अकेलापन नहीं, बल्कि तुम्हारी बीवी,
फ़रिश्ते की तरह नींद में डूबी ।
गर्भवती हो तो औरत प्यारी लगती है ।
समय क्या हो रहा है ?
आठ बजे हैं ।
यानी शाम तक तुम्हें कोई ख़तरा नहीं ।
क्योंकि पुलिस की रवायत है
दिन की रोशनी में छापा न मारने की ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य