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जे-सी बी की बड़ी मशी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
कुछ मीठी, कड़वी, नमकीन,
जेसीबी की बड़ी मशीन।
बाँध, सड़क, पुल जहाँ बनाती,
मीठापन आभास कराती।
लोग झूमते हैं मस्ती में,
बजवाती खुशियों की बीन।
जेसीबी की बड़ी मशीन।
हाय! जहाँ अतिक्रमण हटाती,
वहाँ कोपभाजन बन जाती।
लोगों को लगने लगती है,
यह मशीन तब कड़वी नीम।
जेसीबी की बड़ी मशीन।
काम बहुत तेजी से करती,
बड़े-बड़े गड्ढों को भरती।
झटपट समतल कर देती है,
ऊबड़-खाबड़ कड़ी जमीन।
जेसीबी की बड़ी मशीन।
शोर मचाती आती-जाती,
बच्चों-बूढ़ों को डरवाती,
इस मशीन से बचकर रहना,
करना इस पर नहीं यकीन।
जेसीबी की बड़ी मशीन।
फिर भी काम बहुत है आती।
बड़े काम जल्दी कर जाती।
लगती है बाजीगर जैसी,
कुछ मीठी, कुछ-कुछ नमकीन।
जेसीबी की बड़ी मशीन।