Last modified on 1 जुलाई 2020, at 14:09

जो कभी किसी से नहीं कहा / कमलेश द्विवेदी

जो कभी किसी से नहीं कहा वह हम कहते हैं आज प्रिये।
तुमने ही हमको ग़ज़लें दीं तुमने ही हमको गीत दिये।

यों तो जब मन में भाव जगे
गढ़ डालीं कितनी कवितायें।
मंचों पर जा-जाकर हमने
पढ़ डालीं कितनी कवितायें।
पर किसने अर्थ लगाये वह जो तुमने इनके अर्थ किये।
जो कभी किसी से नहीं कहा वह हम कहते हैं आज प्रिये।

जब-जब सपनों में आये तुम
तब-तब गीतों में तुम आये।
जब-जब दो बातें की तुमसे
ग़ज़लों ने वे ही पल गाये।
जिस तरह आज हम जीते हैं क्या इसके पहले कभी जिये।
जो कभी किसी से नहीं कहा वह हम कहते हैं आज प्रिये।

क्या ये बस गीत-ग़ज़ल ही हैं
ये तो जीवन की थाती हैं।
जो हमें प्रकाशित करते हैं
ये उन्हीं दियों की बाती हैं।
हम यही कामना करते हैं ऐसे ही जलते रहें दिये।
जो कभी किसी से नहीं कहा वह हम कहते हैं आज प्रिये।