Last modified on 13 मार्च 2018, at 20:51

जो कह सके न वही दास्तान बाक़ी है / रंजना वर्मा

जो कह सके न वही दास्तान बाक़ी है
अभी सफ़र में मेरा इम्तेहान बाकी है

चले जो चार कदम रास्ता नहीं इतना
कि फ़ासला भी अभी दरमियान बाकी है

अभी रुको तो ज़रा जिरह मत करो यूँ ही
अभी गवाह का होना बयान बाकी है

निशाना सामने आया तो ये एहसास हुआ
हमारे हाथ में खाली कमान बाक़ी है

जरा-सा चल के हाँफने हो लगे तुम ऐसे
अभी तो सामने पूरा जहान बाक़ी है

जो पर हैं तोल रहे उनसे ये कह दो जा के
ये सोच लो कि अभी आसमान बाक़ी है

वफ़ा तो कर न सके पीठ में घोंपा ख़ंजर
वो जख़्म भर तो गया पर निशान बाक़ी है