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जो कुछ बीती मेरे संग म्हं बता दियों समझा कै / मेहर सिंह

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मरती बरियां न्यू बोल्या मेरी दियों नमस्ते जाकै
जो कुछ बीती मेरे संग म्हं बता दियों समझा कै।टेक

सामण म्हं श्री दिल्ली के म्हं गाना गाया करता
चिट्ठी गेर सब छोर्यां नैं पास बुलाया करता
वे पीछे तै जाया करते मैं पहलम आया करता
नई रागनी तुरंत बणां कै फेर सुणाया करता
तड़कै नैं घर आया करता मैं जल जमना मैं न्हाकै।

कात्तक म्हं श्री गंगा जी पै न्हाणे जाया करते
तरहां तरहां के सीद्धे लेकै जाकै खाया करते
लोग लुगाई कट्ठे होकै मेरा जिक्र चलाया करते
डेरे के म्हं हम मिलकै सारे फेर बतलाया करते
सारे छोरे याद आवैं मैं बोलूं सूं घबराकै।

बरोणे के म्हं चाल्या जा वा तनैं बैठी पावैगी
तेरे आवण की सुणकै नैं वा भाजी आवैगी
इसी बावली ना सै स्याणी वां तनैं समझावैगी
रोटी पाणी करकै रसोई दूध तलक प्यावैगी
तावल करके चाल्या जाइये कदे मरज्या चक्कर खाकै।

कहै मेहरसिंह बसकी कोन्या या दई काल नैं घेरी
हाथ जोड़ कै मेरे भाईयां नै राम-राम दियो मेरी
मनैं लड़ाइयां म्हं रहणा कदे ज्यान चली जा मेरी
इतनी कहते मालिक नै करदी डुबा ढेरी
सारी पल्टन जड़ मैं बैठगी आंख्यां म्हं आसूं ल्याकै।