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जो तरसते रोटियों को इक निवाला दीजिये / रंजना वर्मा

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जो तरसते रोटियों को इक निवाला दीजिये
हैं अँधेरों में बसे उन को उजाला दीजिये

आइये मिल कर नयी दुनियाँ बनायें हम सभी
वक्त सब की ज़िन्दगी में चैन वाला दीजिये

इल्म से महरूम रहने पाये ना कोई बशर
तालिबानों को यहाँ तालीम आला दीजिये

क्यों हवा पानी में ऐसी गन्दगी फैला रहे
आने वाला वक्त लोगों को न काला दीजिये

पालिटिक्सी चाल चल कर क्यों हमें भरमा रहे
मुफ़लिसी का यूँ न जनता को हवाला दीजिये

पेट में हो खौलती जब भूख क्या भाषण सुनें
दीजिये खाना इन्हें पानी का प्याला दीजिये

स्वार्थ की बातें भुला कर कीजिये वादा कोई
फिर इन्हें मस्जिद या कोई भी शिवाला दीजिये