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जो तेरे दिल में है वो बात मेरे ध्यान में है / 'साक़ी' फ़ारुक़ी

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जो तेरे दिल में है वो बात मेरे ध्यान में है
तेरी शिकस्त तेरी लुक्नत-ए-ज़बान में है

तेरे विसाल की ख़ुश-बू से बढ़ती जाती है
न जाने कौन सी दीवार दरमियान में है

हमें तबाह किया आब-ओ-गिल की साज़िश ने
के एक दोस्त हमारा भी आसमान में है

मगर ये लोग भला किस लिए उदास हुए
ये क्या तिलिस्म बहारों की दास्तान में है

हम अहल-ए-दर्द को तोहमत हुई है आज़ादी
के सारी उम्र गिरफ़्तार एक आन में है