Last modified on 8 जून 2014, at 21:24

जो नित सब में देखता / हनुमानप्रसाद पोद्दार

(राग देस)
 
जो नित सबमें देखता, चिन्मय श्रीभगवान।
होता कभी न वह परे हरि-दृगसे विद्वान्‌॥
ले जाते हरि स्वयं आ, उसको निज परधाम।
देते नित्य स्वरूप निज चिदानन्द अभिराम॥