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जो पा चुका है उससे भी बेहतर तलाश कर / बिरजीस राशिद आरफ़ी

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जो पा चुका है उससे भी बेहतर तलाश कर
दुनिया बहुत बड़ी है मुकर्रर<ref>फिर से</ref> तलाश कर

दुश्मन के दिल में प्यार का अन्सर<ref>प्रेम की नींव</ref> तलाश कर
भाई की आस्तीन में ख़ंजर तलाश कर


मंज़िल वहाँ नहीं है जहाँ ढूँढता है तू
मंज़िल को दायरे से निकल कर तलाश कर

कासा<ref>भिक्षापात्र</ref> किसी ग़रीब का ख़ाली नहीं रहा
हर दर पे जाके अपना मुक़द्दर तलाश कर


ऐ साहिबे-ख़िरद<ref>होशमंद</ref> मेरी लिल्लाह कर मदद
ये मेरा शहर है तो मेरा घर तलाश कर


बहरे-अदब<ref>साहित्य(शायरी)के समुद्र</ref> में ग़ोताज़नी<ref>गोताखोरी</ref> किस लिए मियाँ
गहराई नापने से तो गौहर<ref>हीरे-मोती</ref> तलाश कर

सरज़द हुई हैं कितनी ख़ताएँ गुनाह-फ़रेब
सोने से पहले क़ल्ब के अन्दर तलाश कर

शब्दार्थ
<references/>