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ज्ञान और गीता का भारत / मधुसूदन साहा
Kavita Kosh से
ज्ञान और गीता का भारत,
राम और सीता का भारत।
वेदों के मंत्रों का भारत,
साधक के तंत्रों का भारत,
श्रम को ही भगवान समझता
बड़े-बड़े यंत्रों का भारत,
करता रहा सदा अभिनंदन,
हर क्षण जग-जीता का भारत।
भेद नहीं मंदिर-मस्जिद में,
जड़े चेतन, अनबूझसंविद में
सबके लिए तृप्ति की बूँदें
मिलती हरदम हर वारिद में,
सदियो से ये शांति दूत है,
मीत और मीता का भारत।
जड़े-चेतन सब यहाँ बराबर
सबसे सबका भाईचारा,
चाँद चाँदनी सबको देता
राह दिखाता है ध्रुवतारा,
मैना गाती, मोर नाचते,
सिंह, शेर, चीता का भारत।