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ज्योतिषी सबकी कुंडली जाने / डी. एम. मिश्र
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ज्योतिषी सबकी कुंडली जाने
अपने बारे में भी कभी जाने
दूसरों में तलाशता फिरता
आदमी ख़ुद की भी कमी जाने
लोग मरहम भले लगा देते
चोट जिसको लगे वही जाने
चाँद- तारों से पूछते क्या हो
रात कैसे कटे हमी जाने
पार कश्ती तो हो गयी लेकिन
पार कैसे लगी वही जाने
उस समंदर की बात करते हो
जो किसी की न तश्नगी जाने