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झाड़ू-5 / प्रभात
Kavita Kosh से
बारिशों की घास के विशाल मैदान में
उस गड़रिए को टोकते हुए
उस बच्चे ने कैसे कहा
उसने ऐसे कहा कि
घास चरे वहाँ तक तो ठीक है
लेकिन घास के इन
झाड़ू सरीखे सारे के सारे सफ़ेद फूलों को
कहीं चर न जाए हमारा मेमना
क्योंकि फूलों से ही तो बीज झड़ेंगे
बीजों से घासें उगेंगी
घासों पर हिलेंगे-डुलेंगे हवा में
झाड़ू के फूल