भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

झारखण्ड महान छै / कैयूम अंसारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झारखण्ड के सम्मुख हमरोॅ झुकलोॅ माथ छै ।
झारखण्ड के पीर छै नामी आरो नागनाथ छै ।।
बैजू बाबा के धाम यहीं छै ।
रंग-बिरंगोॅ के झाड़ उपवन, वन अभिराम यहीं छै ।।
कोयला, लोहा, सोना खान ।
झारखण्ड के अद्भुत दान ।।
जेकरै सेॅ ई देश जियै छै ।
सबके मांगलोॅ भाग्य सियै छै ।।
मजकि यांही गरीबोॅ रोॅ निनान छै ।
देखला-सुनला सेॅ सब पता लगै छै ।।
कहिनोॅ नियति के सरमजाम छै ।
सांझोॅ बितलोॅ, रातोॅ बितलोॅ ।।
ऐलै भोर बिहान छै ।
हमरे मेहनतकश हाथोॅ सें झारखण्ड में ऐलोॅ जान छै ।।
आय हमरा भैया, हेकरै पेॅ गुमान छै ।
जे हमरा भरमाबेॅ, फोड़ेॅ
न×ा ऐहिनोॅ पुरोहित के काम छै ।
सब पढ़लोेॅ-लिखलोॅ जजमान छै ।।
भैया-बहिनी मिली-जुली सब झाखण्ड बचावोॅ ।
ई कैयूम के पहलोॅ टा आह्नान छै ।।