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झील के जज़ीरे लिख / शीन काफ़ निज़ाम

झील के जज़ीरे लिख
हैं सभी अकेले लिख

कुरबतों के क़िस्से लिख
रेत-रेत चेहरे लिख

पानियों के सीनों पर
ख्वाब के ख़ज़ीने लिख

मोसिमों के मातम में
क़स्द के क़सीदे लिख

आईने के आँगन में
दफ़्न है दफ़ीने लिख

बादलों की बोली में
फूल हैं फ़रिश्ते लिख

धूप और उजालों को
आँख और अंधेरे लिख

शाम की सलीबों पर
सोचते सवेरे लिख

धूल-धूल धरती पर
घर के नाम घेरे लिख