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झील लिखिए कि समंदर लिखिए / विनय कुमार
Kavita Kosh से
झील लिखिए कि समंदर लिखिए।
अपने कमरे में बैठ कर लिखिए।
क्या ज़रूरी है धूप में सिकना
सिंकनेवालों से पूछ कर लिखिए।
चांद पर लिख गये ज़मीं वाले
चांद पे रहिए ज़मीं पर लिखिए।
जाल हो पर नज़र नहीं आये
उसमें परवाजे़ कबूतर लिखिए।
दिल की आवाज़ न लिखने देगी
अक्ल से हाथ हिलाकर लिखिए।
ज़ख्म ईनाम दिला सकता है
ज़ख्म माथे पे सजाकर लिखिए।
शायरी जंग छेड़ सकती है
कीमती जान बचाकर लिखिए।
रात के ख़्वाब दिन की नींदों में
दिन के बारे में रात भर लिखिए।
जो बहुत कीमती दिखायी दे
ऐसे कागज़ पे रहगुज़र लिखिए।
और भी शौक हैं सुख़न के सिवा
कौन कहता है उम्र भर लिखिए।