झुनझुने का कंकड़ / हेमन्त देवलेकर
(थिम्पू के लिये)
तेरे झुनझुने में क़ैद
वह कंकड़ छोटा सा
सोच तो क्या उस बंधन से छूटना
नहीं चाहता होगा
तुझे छूना और अपलक निहारना
और तेरे नवरंगी खेलों में शामिल होना
नहीं चाहता होगा?
तेरे शहज़ादे खिलौनों की रियासत में
यह फकीर-सा कंकड
अपने लिये कोई चबूतरा चुनना
नहीं चाहता होगा...?
तेरे शहज़ादे खिलौनों के बीच रहकर
तुझे हँसाने-मनाने का
लालच उसके मन में भी तो होता होगा।
पर उसे मालूम है कि
जब तक वह झुनझुने के अंदर है
तब तक शिशु रंजक स्वर है
वरना बाहर केवल कंकर है।
इसलिये उसे नहीं दुःख ज़रा भी
क़ैद से छूटने की तड़प नहीं उसे।
बच्चों की हँसी एक त्यौहार है
और झुनझुना उन पर्वगीतों की
धुनंे रचता है।
उसे सुन तू जितनी बार भी खुश होती है
वह उतनी बार मुक्त होता है,
तुझे छूता है
तेरे नवरंगी खेलों में शामिल होता है
तेरे झुनझुने में बंदी
यह कंकड़ छोटा-सा।