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झूठी चमक / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

 

बुढ्ढे और बुढ़िया
बुढ़िया को बुढ़िया कहो
खाने को आएगी
और
बूढ़े को बूढ़ा कहो
काटने को दौड़ेगा
और
अपने को मान लो
कि
मशीन पुरानी हो गई
कंडम होने को तैयाार है
पर
ये वक्त के मारे
टिप-टॉप में रमे
हकीकत को जानते नहीं
या
समझना ही नहीं चाहते