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झूम-झूम झूला / केदारनाथ कोमल
Kavita Kosh से
झूम-झूम झूला
झूमता है झूला!
घूम-घूम घूमता
घूमता है झूला!
घोड़ो, चीता, शेर
लगा रहे हैं टेर,
आओ, जल्दी आओ
बड़ी हो गई देर!
पप्पू का मुँह फूला!
घेरे में घूमते
मस्ती में झूमते,
लहरा के हाथ को
ओठों से चूमते!
आलस आग-बबूला!
कैसा रंग जमाता
भालू नाच दिखाता,
जरा नहीं शरमाता
बंदर बैंड बजाता!
गप्पू सब कुछ भूला!