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टिली लिली / श्रीकृष्णचंद्र तिवारी 'राष्ट्रबंधु'
Kavita Kosh से
मैं ढपोर हूँ शंख बिना,
ताक धिना-धिन, ताक धिना।
मुझे अचानक परी मिली,
आसमान में जुही खिली।
टिली लिली जी टिली लिली
मैं जाऊँगा पंख बिना
ताक धिना धिन, ताक धिना!
अगड़म-बगड़म बंबे बो,
अस्सी, नब्बे, पूरे सौ।
गेहूँ बोया, काटा जौ,
उगा पेड़ कब बीज बिना
ताक धिना-धिन, ताक धिना!
बछड़ा भागा, भागी गौ,
जल्दी जागो फटती पौ!
हो-हो, हो-हो, हो, हो, हो,
चलूँ अकेला संग बिना
ताक धिना-धिन ताक धिना!
-साभार: नंदन, जुलाई, 1997, 18