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टी टी करती टिटही आई / मधुसूदन साहा
Kavita Kosh से
रंग बिरंगी
बड़ी तरंगी
टी-टी करती टिटरी आई।
कितने सुंदर पंख सुनहरे
लाल रंग हैं गहरे-गहरे
चोंच नुकीली
पूंछ सजीली
लगती बिल्कुल रंग नहायी।
कभी उतरकर नीचे आती
कभी फुदक कर ऊपर जाती
कभी यहाँ पर
कभी वहाँ पर
फिरती जैसे हो बौराई।
जोर-जोर आवाज लगाती
जाने किसको रोज बुलाती
इधर ताकती
उधर झाँकती
लगती है कितनी घबराई।