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टूट्या के बाद बधावा / 2 / राजस्थानी
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
उठ सवागण ओ घर नीप, म्हार साल सरिसा ओबरा।
जी ओड जोड पगल्या ये मांड तो देखो जानेती आवता।
जी ओड जोड पगल्या ये मांड तो देखो बिंदराजा आवता।
आसी आसी कासबजीरा जोध सुरजजी घर ही पधारसी।
आसी आसी महादेवजीरा जोध गजानंदजी घर ही पधारसी।
जायोडा रा आनंद उछाव, आयो डारा रलीय बधावणोजी।
उठ बाई बेना भर मोतीडारा थाल, करोनी अजरावल बीर की जी।
नोट- इस प्रकार सभी जंवाई, मामाजी के नाम लें।