टेम गया वो नेम गया, इब बात बिगड़ग्यी सारी / सत्यवीर नाहड़िया
टेम गया वो नेम गया, इब बात बिगड़ग्यी सारी
मिशन कदे थी, धंधा होग्यी, इब तै पत्तरकारी
नारदजी नै हम सब जाणै, थे वे पत्तरकार सुणो
तीन लोक अर नौ खंड कै म्हां, करते थे परचार सुणो
जनहित की वै सोच्या करते, लोकहित ब्योहार सुणो
कदम-कदम पै जिंदा थे भई, सामाजिक सरोकार सुणो
मापी ना कदे हार सुणो, अर समझी जिम्मेदारी
बखत गुलामी का था वो, भई कितनी इज्जत पाई
देस अजाद करावण खात्तर, कलम तै अलख जगाई
नहीं झुके अर नहीं डरे वै, देसभगत थे भाई
बालमुकन्द से हुये कलमची, तगड़ी कलम चलाई
करजन कै फटकार थी लाई, गोरी तोप थी हारी
अखबारां म्हं होड़ माचरी, नंगे बदन दिखावण की
विज्ञापन की मारामारी, सबनै नोट कमावण की
टीवी की तो कहाणी होग्यी, घर-घर जहर फैलावण की
भूतपरेत अर तंतर-मंतर, खबरें इसी बणावण की
बात नहीं जो बतावण की, दिखा रहे वो न्यारी
खबर देख यें आजकाल की, जिनपै लागै सट्टा
पत्तरकार का जीवट हो सै, सबतै हट्टा-कट्टा
नीचे तै भई ऊपर तक ये, हुये एकसे कठ्ठा
संपादक बण बैठे मालिक, बठार्हे जो भठ्ठा
कह ‘नाहडिय़ा’ ये सै चट्टा, थैली आज बतारी