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टेलीफोन पर बहन / हरप्रीत कौर
Kavita Kosh से
कहती है
‘एक बात कह रही हूँ
घबराना मत
घर में तो सब ठीक है
पर हाँ किसी की तार, चिठ्ठी, टेलीफोन पा कर
डरना नहीं
एक उम्र के बाद तो
जाना ही है सबको
कोई पहले भी चला जाए
तो भी डरना नहीं
हौसला रखना
हाँ हो सके तो कुछ दिन
घर आ जाना
माँ कुछ उदास है बस’
प्रत्युतर में पूछता हूँ
‘माँ के नहीं रहने पर
तुम तो रहोगी न
मेरे पास ?’