भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ठहरा सा लगता है जीवन / हरिवंशराय बच्चन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ठहरा-सा लगता है जीवन।

एक ही तरह से घटनाएँ
नयनों के आगे आतीं हैं,
एक ही तरह के भावों को
दिल के अंदर उपजातीं हैं,
एक ही तरह से आह उठा, आँसू बरसा,
हल्का हो जाया करता मन।
ठहरा सा लगता है जीवन।

एक ही तरह की तान कान
के अंदर गूँजा करती है,
एक ही तरह की पंक्ति पृष्ठ
के ऊपर नित्य उतरती है,
एक ही तरह के गीत बना, सूने में गा,
हल्का हो जाया करता मन।
ठहरा-सा लगता है जीवन।