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ठहरो, गम आबाद करें--गजल / मनोज श्रीवास्तव
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ठहरो, गम आबाद करें--गजल
गूंगों की इस बस्ती में
आओ, खुद से बात करें
शीशे, शोले, शूल जहां
ठहरो, गम आबाद करें
फफकी, सिसकी, हिचकी का
हंसियों में अनुवाद करें
हकलों की जमघट हैं हम
चल, बैठक कुछ ख़ास करें