भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ठेकान / मन्त्रेश्वर झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सोचैत रहैत छी। हरदम।
किदन। कहाँदन।
सतर्क होइत। तर्क करैत।
सोचैत। रहैत छी।
मुदा। की सोचैत रहैत छी।
से नहि सोचैत छी।
किदन। कहाँ दन। लिखैत रहैत छी।
लिखैत रहैत छी। हरदम।
किदन। कहाँ दन।
मुदा। की लिखैत रहैत छी।
किएक। लिखैत रहैत छी।
से। नहि लिखि पबैत छी
अनवरत यात्रा मे।
बदलैत रहैत अछि। ठेकान।
तकैत रहैत छी ठेकान।
हेराइत रहैत छी।
भोथिआइत रहैत छी।
कोना भेटत। कहिया भेटत।
एक आओर पौआ।
एक आओर पसेरी।
क्विन्टल.....
अन्तिम ठेकान तक। तकैत।
सोचैत। लिखैत अन्तिम
ठेकान तकक उपाख्यान।
अपन ठेकानक ठेकान।
तकैत। सोचैत। लिखैत।