|
इन दिनों मेले भी नहीं लगते,
लग भी गए हों तो
बच्चे बाजा नहीं ख़रीदते
ख़रीदते हैं वे प्रकाशवान होने वाली, धड़धड़ाने वाली बंदूक ।
बच्चे अब कहाँ खेलते हैं छूना पानी
वे खेलते हैं युद्ध-युद्ध ।
बैठक में रखे तकियों की ओट बनाकर
बच्चे ने
मुझ पर ही दागी थी स्टेनगन
गोली से तो नहीं डरा मैं
परन्तु उसकी नन्हीं आँखों में
हिंसा का आविर्भाव देखकर
उसके हाथ में थमी नकली बन्दूक के
कभी भी असली हो जाने का डर
मेरे मस्तिष्क को आर-पार छेदने लगा ।
मूल मराठी से अनुवाद : सूर्यनारायण रणसुभे